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परिकल्पना/मिशन

इतिहास से संबंधित शोध को उचित दिशा देने के महत्व तथा इतिहास के वैज्ञानिक एवं तथ्यपरक लेखन की देश में मान्यता बढ़ती जा रही है। इससे ना सिर्फ राष्ट्रीय एकीकरण की भावना प्रबल हो रही है बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत के संबंध में नजरिया भी सुदृढ़ होता जा रहा है।

सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी के अध्ययन के क्रम में इतिहास की प्रविधियों का व्यापक प्रचार - प्रसार भी आवश्यक है ताकि दोनों विषयों की तकनीक एवं प्रविधि सुधरने के साथ - साथ नवीन होती रहे। इन उद्देश्यों की पूर्ति एवं इतिहास से संबंधित शोध के लिए एक राष्ट्रीय नीति का निर्माण करने में भा.इ.अ.प. द्वारा सहायता की जाएगी। भा.इ.अ.प. का संचालन निम्नोक्त संरचना के माध्यम से होता है।

1. भा.इ.अ.प. में मुख्यत: देश के प्रख्यात इतिहासकार शामिल होते हैं।

2. परिषद इतिहास के व्यापक पक्ष जैसे - कला, साहित्य, दर्शनशास्त्र एवं उससे संबद्ध विषय जैसे पुरातत्व, मुद्राशास्त्र, पुरालेख एवं पाण्डुलिपियों के अध्ययन का इतिहास आदि को समाविष्ट करती है । कोई अन्य विषय जो विशेष रूप से इतिहास की ओर रूझान रखता हो, परिषद् उसे भी बढ़ावा देती है।

3. परिषद इतिहास के वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा देने में सहायता करने के साथ - साथ भारत अथवा विदेश के अन्य विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों से भी संबंध रखती है एवं इतिहास से संबंधित शोधकार्य को बढ़ावा देती है।

भा.इ.अ.प. के लक्ष्य एवं उद्देश्यों के अनुसरण के क्रम में परिषद् के कार्यकलाप निम्नवत हैं I

  • कॉलेज विश्वविद्यालय एवम् पंजीकृत शोध संस्थाओं के नए शिक्षकों को अध्येतावृत्ति एवम् वित्तीय सहायता प्रदान करना I साथ ही साथ वे वरिष्ठ शोध-छात्र जिन्हें वित्तीय सहायता की आवश्यकता हो, उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करना I
  • इतिहास से सम्बंधित विषयों पर विचारों के आदान-प्रदान हेतु सेमिनार, संगोष्ठी, कार्यशाला आदि के आयोजन में वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए इतिहासकारों को एक  साथ लाना I
  • सेमिनार, कार्यशाला एवम् पत्रिकाओं के प्रकाशन आदि हेतु अनुदान उपलब्ध कराना।
  • शोध पत्रिकाओं का प्रकाशन करना| वर्तमान में दो वैश्विक स्तर पर ख्यातिप्राप्त शोध छमाही शोध पत्रिकाओं का प्रकाशन किया जा रहा है | पहला अंग्रेजी में इंडियन हिस्टोरिकल रिव्यू (IHR) तथा हिन्दी में इतिहास (शोध पत्रिका) है।
  • विशेषतः विद्वानों एवम् शोध-छात्रों के लिए नई दिल्ली मुख्यालय में प्रो. सतीश चन्द्र मित्तल पुस्तकालय-सह-प्रलेखन केन्द्र में DELNET एवम् J-STOR की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
  • परिषद द्वारा संचालित तीनों क्षेत्रीय केंद्रों उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय केन्द्र (गुवाहाटी), दक्षिणी क्षेत्रीय केन्द्र (बेंगलुरु) तथा पश्चिमी क्षेत्रीय केन्द्र (पुणे) का देखरेख करना तथा पुस्तकालय की भी व्यवस्था करना।

संगम ज्ञापन 1972 के पैरा (2) में उल्लिखित विचार के तहत परिषद् समय-समय पर भारत सरकार द्वारा निर्देशित उन सभी मुद्दों पर जो कि इतिहास सम्बन्धी शोध एवम् इतिहास प्रविधि में प्रशिक्षण से सम्बंधित हों, के सम्बन्ध में भारत सरकार को परामर्श देती है तथा इसमें इतिहास सम्बन्धी शोध में सह-परिचालन व्यवस्था एवम् विदेशी शैक्षिक संस्थाओं के साथ प्रशिक्षण सुविधाएँ भी शामिल हैं I  

 

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